मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

मंदिर के बिना नहीं होगी राजनीत ..

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में एक बात तो खुल कर सामने आ गयी की भा० जा० पा० बिना मंदिर के राजनीत नहीं कर पायेगी । नए नवेले राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कुछ बाते ऐसी कही की मन खुश हो गया ,
जैसे - अब दिल्ली का दौरा करने से टिकेट नहीं मिलेगा , टिकेट चाहिए तो गाँव में जाओ आम आदमी के लिए काम करो ।
किसी को काटकर छोटा मत करो खुद बड़े बन जाओ । आप ने युवाओ की जरुरत अपनी पार्टी में समझी और पार्टी को आधुनिक सुबिधाओ से लैस बनाने की कोशिश की । सब कुछ बहुत अच्छा गया और गडकरी जी ने बहुत अच्छे से अपनी शक्ती प्रदर्शन किया लेकिन जाते जाते उन्हें मंदिर फिर याद आ गया ।
आज देश तमाम समस्याओ से घिरा हुआ है । महगाई आम आदमी की कमर तोड़ रही है , देश आंतरिक सुरक्षा से जूझ रहा इसमें शांती लेन के बजाये आग में घी डालने का काम कर रहे है ।
मुझे समझ में यह नहीं आ रहा है की की जब मंदिर का मामला कोर्ट में है तो क्यों न यह पार्टी अपना पूरा दम लगाकर जल्दी से सही निर्णय निकलवाती है जिससे मंदिर बनसके ।
सुझाव के लिए बस इतना कहना चाहूँगा की आप मंदिर के बारे में अब सोचना बंद करो आप तो अगर सोच सकते हो देश के बारे में सोचो , कुर्सी की राजनीत को छोड़कर विकाश की राजनीत करो । अगर आप आम आदमी के लिए काम करोगे तो आम आदमी आप के लिए करेगा ।
आपसे उम्मीद इसलिए है की आप कम से कम यह तो समझ गए है की किसी को छोटा मत करो खुद बड़ा बनो । आम आदमी को आप भूलेंगे तो जनता आपको भूलेगी । बाकी सोचना आप का काम है... सिर्फ स्टेज पर खड़े होकर बड़ी बड़ी बात करने काम नहीं चलने वाला है कुछ काम करके दिखाईये ।
जारी रहेगा .......................