शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

पूर्व छात्रो के जमा होने से खुशनुमा हुआ माखनलाल के परिसर का माहौल

एक तो एम ० फिल० की परीक्षा दूसरे ई ० टीवी ० का कैम्पस , आज दिनभर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रिकारिता विश्वविद्यालय में पुराने छात्रो का जमावड़ा रहा । पिछले कुछ दिनों तक विवादों में रहने के बाद आयी शून्यता को दूर करने के लिए इतना काफी था , खास तौर पर बड़ी संख्या में केव्स के छात्रों ने आकर माहौल को काफी खुशनुमा बना दिया छुट्टी का दिन होने के बाद भी विश्वविद्यालय में कोलाहल रहा ।
पिछले दिनों के माहौल ने परिसर की खुशी छीन ली थी , हार कोई ऊब रहा था कुछ लोगो ने तो घर जाने का मन बना लिया था , एक तो रूखा मौसम ऊपर से परिसर के रूखे माहौल से मन में एक अजीब तरह की अशांती थी लेकिन आज एक बार फिर लोग एकदूसरे के गले लगकर एक दूसरे का हल पूछते नजर आये, कैंटीन के बहार पूरा दिन छात्रो का जमावड़ा रहा और शाम कब हो गयी पता ही नहीं चला , आज फिर विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ जिसमे कुछ देर तो पिछली बाते केंद्र में रही लेकिन फिर अयोध्या मामले से लेकर बिहार चुनाव तक कई विषयो पर बहस हुयी , अयोध्या मामले के निर्णय को स्वागत योग्य बताते हुए लोगो ने निष्कर्ष निकला की अब मीडिया को इस विषय को छोड़ देना चाहिए , लोगो ने कहा की रोज रोज इस विषय पर बहस सामाजिक सोहार्द को विगड़ सकता है । कुछ लोगो ने तो यह भी कहा कि अब इस विषय पर कुछ भी न तो लिखा जाने चाहिए न ही दिखाया जाना चाहिए । विभिन्न विषयों पर सार्थक बहस के बीच बीच में लोग उन लोगो के बारे में भी जानकारी जुटते रहे जो नहीं आये थी या कही काम कर रहे थे । अयोध्या मामले पर लोगो ने आपना अनुभव बताते हुए कहा कि निर्णय के बाद वो कहा कहा गए और लोगो कि क्या प्रतिक्रिया रही ? कुलमिलाकर परिणाम यह निकला कि देश का आम आदमी इस निर्णय से खुश है वाह चाहे जिस समुदाय का हो।
आज कि इस सार्थक बहस ने हमारे खोये मनोबल को फिर वापस लाने का काम किया और एक बार फिर पढाई के ओर मन आकर्षित हुआ । लेकिन दुःख इस बात की है कि लोग अभी तक एक अच्छी नौकरी के लिए प्रयासरत ही है लेकिन खुसी कि बात यह है कि उनका मनोबल बढ़ा हुआ है और अपने पर पूरा भरोसा है ,आज नहीं तो कल लेकिन अच्छी शुरुवात करेंगे ।
हमारे लिए यही सब काफी था, और एक बार फिर पुराना माहोल बनाने में हमारे अग्रजो की जो भूमिका रही उसके लिए वो धन्यबाद के पात्र है । परिसर में दिग्गजों के जमावड़े ने माहौल तो खुशनुमा तो किया ही साथ ही छुट्टी के दिन भी राजू की काम से काम १०० चाय बिक गयी लगभग हार १५ मिनट के बाद कोई न कोई नया सीनियर आता था और आते ही सबसे पहले चाय का आदेश देता था ।
कहते है बीता हुआ दिन लौट कर नहीं आता लेकिन हमलोगों के लिए एक बार फिर बीता दिन लौट आया , हा कुछ अग्रज जो नहीं आये उनकी कमी जरूर खली लेकिन यह सुनकर संतोष हो गया की काम कर रहे है ।

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