आज हम जिस दोर में जी रहे है ये दौर कैसे आया किसकी देन है यह सब । मै उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के पटना खरगौरा ग्रामसभा के पटना गाँव का रहने वाला ..भारत का एक नागरिक हूँ ।
गाँव से बहार निकलकर शहर में आया की अच्छे से पढ़ाई करूँगा और सहरो की तेज रफ़्तार का हिस्सा बनूँगा, होश तो तब आया जब समझ में आया की इस रफ़्तार का हिस्सा बनना हो तो बनो पर ये उम्मीद मत करना की दौड़ते -दौड़ते अगर आप गिर गए तो की कोई आपको कन्धा देने के रुकेगा । यहाँ दौड़ जीतने के लिए है और जो रुक गया वो हारेगा। लोगो को इतना नही पता की की उनका पड़ोसी क्या करता है , आज उसके बच्चो ने खाना खाया है की नही बस जागते तो जीतने के लिए और सोते है तो जीतने के लिए ।
कितना अच्छा था अपना गाँव कम से कम शुबह शाम लोग मिलते थे और पूछते थे कैसे हो भैया कोई परेशानी तो नहीं है . भूख लगी है और अपने घर खाना बनने में देर है तो पड़ोसी के घर खाना खाना खा लिया .. कभी जो किसी के घर कुछ खास बना तो अपनने आप खिसकते हुए अपने घर तक आ जाता था , आज लग रहा है चमक दमक न सही पर असली भारत गाँव में बसता है । ... जहा हर मर्ज की दावा है अपनो का प्यार .अपनों का प्यार , वाह रे मेरा गाँव ...........
......................................... जरी रहेगा .......
बुधवार, 18 नवंबर 2009
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