शनिवार, 19 सितंबर 2009

देशभक्त और कुर्सीभक्त

"हम तैयार है देश पर किसी भी तरह के हमले को रोकने के लिए" बहुत अच्छी शब्दावली और और नपी तुली भाषा या ऐसे कहे की लिखा हुआ भाषण। बहुत बटोर चुके वाह-वाही। पिछले दिनों की खबरों पढ़ कर कलेजा फट जाता जाता है की आज इतने समय बाद भी देश की बॉर्डर की ब्यस्था अस्त ब्यस्त ही है और हमरे कुर्सी भक्त इंतजार कर रहे है हमले की हमला होगा तो निपट लेंगे हार जायेंगे तो फिर से तैयारी करेंगे , उन्हें क्या गम कौन शहीद होगा उनका बेटा तो कुर्सी पर रहेगा ही ,कुछ सहयोग राशि देंगे कुछ सड़के कुछ मैदान बनेंगे और फिर भूल जायेंगे ।आज सीमा से सटे गाँव के लोगो की माने तो चीन फिर १९६२ जैसी हरकते कर रहा है उसके सैनिक हमारे देश में घुस लोगो को परेशान करता है उन्हें गलियां देता है उनका अपमान करता है सीमा के नियमो का उलंघन कर रहा है और हम बात कर रहे है , बात में भी हम पुष्ट है की सब ठीक है। एक तरफ चीन लगातार युद्घ की तैयारी कर रहा है सड़के बना रहा है रेलवे लाइन बना रहा है और हम , हम भी कर रहे है सन १९६२ से अभी तक कर रहे है और न जाने कब करते रहेंगे । अगर सही में हमारे नेता जी देश के लिए कुछ वफादार है तो अब तो जग जाए कमसे कम भूत पूर्व सैनिको के अनुभव से आज के समय के अनुकूल सीमा पर रहने , खाने और यातायात की सुबिधा तो करदे जिससे हमारे देशभक्तों में किसी तरह की कुंठा न आने पाए । देश के एक आम नागरिक की जगह अपने को रख कर देखे और सोचे की अगर उनका लड़का फौज में होता और लड़ाई होती तो उनके दिल पर क्या गुजरती । सबसे अहम् बात यह है की एक बार अभी तक तो गरीबी का बहाना चलता रहा पर अब बहुत हो चुका अगर एकबार फिर पुरानी भूल हुयी तो जनता इसका करार जबाब देगी क्योकि अब उसे सब पता है की मलाई कहा है और कौन खा रहा है । अब बहाने नही चलेंगे क्योकि दुनिया कारणों पर नही परिणामो पर चलती है । जय हिंद,
जारी रहेगा..................

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